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Showing posts from February, 2024

पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

  पादप वृद्धि की प्रावस्थाएँ यह मुख्यत: तीन चरणों में बटाँ हुआ है। विभज्योतिकी कोशिका दीर्घीकरण विभेदन 1. विभज्योतिको चरण:  इस चरण में कोशिकाएँ मूल शिखाग्र तथा प्ररोह शिखाग्र में लगातार विभाजित होती रहती हैं। 2. कोशिका दीर्घीकरण : विभज्योतिकी के पीछे दीर्घन प्रदेश में नई कोशिकाएँ लग्बाई तथा चौड़ाई में बढ़ती हैं। 3. विभेदन : यह दीर्घन क्षेत्र के ठीक नीचे स्थित होता है। यहाँ की कोशिकाएं अपने अन्तिम आकार को प्राप्त करने के साथ-साथ कई प्रकार के जटिल एवं सरल ऊतकों में विभेदित होती है, विभेदन क्षेत्र कहलाता है। वृद्धि की परिस्थितियाँ इसका विवरण निम्नलिखित है: जल : वृद्धि होने से लिए आवश्यक एन्जाइम की क्रियाशीलता के लिए जल एक माध्यम उपलब्ध करता है। ऑक्सीजन : श्वसन क्रिया द्वारा ऑक्सीजन की उपस्थिति में उपापचयी ऊर्जा मुक्त होती है। पोषक तत्व : पोषक जीवद्रव्य के संश्लेषण तथा ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। प्रकाश : सूर्य के प्रकाश में हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं। ताप : प्रत्येक पादप जीव की वृद्धि के लिए ताप अनिवार्य है। गुरुत्व : गुरुत्व के द...

उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण

  रासायनिक प्रकाशहीन अभिक्रिया या ब्लैकमैन अभिक्रिया (PCR चक्र) ATP और NADPH का उपयोग प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशीय अभिक्रिया में होता है तथा O2 क्लोरोप्लास्ट के बाहर विसरित होता है। यह अभिक्रिया प्रकाश पर निर्भर करती है और प्रकाश की अनुपस्थिति में यह हरितलवक के स्ट्रोमा भाग में सम्पन्न होती है। मैल्विन केल्विन ने इसकी खोज की और इसे केल्विन चक्र नाम से जाना गया I इन्होंने पता लगाया कि CO2 योगिकीकरण में पहला उत्पाद एक 3 कार्बन वाला कार्बनिक अम्ल (PGA) था | प्रकाशहीन अभिक्रिया में पौधे में कार्बन योगिकीकरण निम्न तीन प्रकार से होता है : 1-केल्विन चक्र या केल्विन- बेन्सन चक्र 2-टैच स्लैक चक्र या C4 पथ 3-कैम चक्र 1- केल्विन चक्र या केल्विन बेन्सन चक्र एम० केल्विन, ए० बेन्सन तथा इनके सहकर्मियों ने ए क कोशिकीय हरे शैवाल जिसका नाम कलोरेला था प्रयोग किया और लगाया कि यह एक चक्रीय क्रम में संचालित होता है इसमें RuBP पुनः उत्पादित होता है। वे पौधे जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं उनमें केल्विन चक्र पाया जाता है चाहे उनका पथ C3 हो या C4 । यह प्रक्रिया तीन चरणों में होती है – कार्बोक्सिलिकरण...

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

  कोशिका चक्र की प्रावस्थाएं (Phases of cell cycle) सन् 1953 में हॉवर्ड तथा पेले में कोशिका चक्र में घटित होने वाली विभिन्न प्रावस्थाओं की खोज की थी। ये दो प्रकार की होती हैं। अन्तरावस्था (Interphase) एम-प्रावस्था (m-phase) 1) अन्तरावस्था यह कोशिका चक्र की सबसे लम्बी प्रावस्था है। इसे विश्राम प्रावस्था भी कहते हैं, यह वह प्रास्था हैं, जिसमें कोशिका कोशिका विभाजन के लिए तैयार होती है। अन्तरावस्था को निम्नलिखित तीन उपावस्थाओं में विभाजित किया गया है। (i) G1- उपावस्था या पश्च सूत्री विभाजन उपावस्था : इस प्रावस्था में DNA के लिए आवश्यक न्यूक्लियोटाइड, RNA प्रोटीन्स एवं आवश्यक विकरों आदि का संश्लेषण एवं संचय होता है। इस अवस्था मे DNA प्रतिकृति नहीं करता । (ii) S – उपावस्था या संश्लेषण उपावस्था : S- उपावस्था या संश्लेषण उपावस्था के दौरान DNA का निर्माण एवम इसकी प्रतिकृति होती है, अत: हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है। इस दौरान DNA की मात्रा दोगुनी हो जाती है। एम- प्रावस्था एम-प्रावस्था उस अवस्था को व्यक्त करता है, जिसमें वास्तव में कोशिका विभाजन या सूत्री विभाजन होता हैं। एम- प्रावस्था...

जैव अणु

 जैविक अणुओं को दो भागों में बाँटा गया है:- 1 .सूक्ष्म जैव अणु  ये कम अनुभार वाले सरल संरचनात्मक अणु है, जो जल एवं अम्लीय माध्यम में घुलनशील होते हैं।  जैसे वसा अम्ल, अमीनो अम्ल, सरल शर्करा, वसा एवं न्यूक्लिपोटाइड्स आदि 2. वृहत जैव अणु ये अधिक अनुभार के बड़े आकार वाले जैव अणु है। इनका निर्माण सूक्ष्म अणुओं के बहुलीकरण से होता है। जैसे:- प्रोटीन्स, पॉलीसैकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल आदि। कार्बोहाइड्रेट पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट ही है। जीवधारियों के लिए यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है। इसका मूलानुणती सूत्र कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर का लगभग 1% भाग बनाते हैं। 1ग्राम कार्बोहाइट्रेट से 4.1 किलो कैलोरी या 17 किलो जूल ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। हैं कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण इन्हें तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है। 1. मोनोसैकेराइड ये रंगहीन स्वाद में मीठे होते हैं। इनमें 3 से 7 कार्बन परमाणु हो सकते है। (i) ट्रायोज (Triose):- 3 कार्बन, जैसे:- डाइहाइड्रोक्सीऐसिटोन, ग्लिसरल्डिहाइड (ii) टे...

कोशिका: जीवन की ईकाई

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 कोशिका( The cell)- कोशिका सभी जीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक ईकाई है, कोशिका का कोई निश्चित आकार नहीं होता है, यह विभिन्न आकार की हो सकती है। जैसै गोलाकार अंडाकार आदि। ऊतक- समान कार्य व समान समान संरचना वाले कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं। कोशिका की खोज- राबर्ट हुक ने 1665 ई. में की थी। इन्होंने ही सर्वप्रथम कोशिका भित्ति की खोज की। प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर कोशिका झिल्ली के कार्य इसके कार्य निम्न हैं 1. पारगम्यता( permeability)- कोशिका झिल्ली की प्रकृति अर्धपारगम्य या विभेदी पारगम्य या चयनात्मक पारगम्य होती है। यह केवल केवल कुछ विशेष आकारों तक के ही अणुओं को अपने आर-पार होने देती है। 2. निष्क्रिय अभिगमन (passive transport)- इस प्रकार के अभिगमन में बिना ऊर्जा खर्च किए कुछ आयन पानी के अणु आदि कोशिका झिल्ली से होकर सीधे ही अंदर या बाहर आ सकते हैं। 3.सक्रिय अभिगमन(Active transport)- इस प्रकार के अभिगमन में कोशिका झिल्ली में उपस्थित विभिन्न प्रकार के वाहक अणुओं द्वारा ऊर्जा का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की अणुओं को उनकी सांद्रता विभव के विपरीत दिशा में स्था...

Organic Chemistry Some basic principles and Techniques

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  Organic Chemistry Class 11 NCERT Organic Chemistry Some basic principles and Techniques Organic Chemistry –  Organic chemistry is the study of carbon compounds that always contain carbon and it is limited to other elements. Compounds obtained from plants and animals were termed organic to indicate their ultimate source was a living organism. General Introduction to Organic Chemistry Organic chemistry is one of the most important disciplines of science which deals with the study of carbon compounds especially hydrocarbons and their derivatives. Tetravalency of Carbon Shapes of Organic Compounds Catenation –  Catenation can be defined as the self-linking of atoms of an element to form chains and rings. This definition can be extended to include the formation of layers (two-dimensional catenation) and space lattices (three-dimensional catenation). Tetravalency and small size –  Carbon exhibits’ tetravalency. The tetravalency of carbon can be satisfied by forming bonds...

कार्बनिक रसायन विज्ञान कुछ बुनियादी सिद्धांत और तकनीकें

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  कार्बनिक रसायन विज्ञान कुछ बुनियादी सिद्धांत और तकनीकें कार्बनिक रसायन विज्ञान -  कार्बनिक रसायन विज्ञान कार्बन यौगिकों का अध्ययन है जिसमें हमेशा कार्बन होता है और यह अन्य तत्वों तक सीमित होता है। पौधों और जानवरों से प्राप्त यौगिकों को यह इंगित करने के लिए कार्बनिक कहा जाता था कि उनका अंतिम स्रोत एक जीवित जीव था। कार्बनिक रसायन विज्ञान का सामान्य परिचय कार्बनिक रसायन विज्ञान विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है जो कार्बन यौगिकों विशेष रूप से हाइड्रोकार्बन और उनके डेरिवेटिव के अध्ययन से संबंधित है। कार्बनिक यौगिकों के कार्बन आकृतियों की टेट्रावैलेंसी श्रृंखलन -  शृंखला और वलय बनाने के लिए किसी तत्व के परमाणुओं के स्व-जुड़ने को श्रृंखलन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इस परिभाषा को परतों के निर्माण (द्वि-आयामी श्रृंखला) और अंतरिक्ष जालक (त्रि-आयामी श्रृंखलन) को शामिल करने के लिए बढ़ाया जा सकता है। टेट्रावैलेंसी और छोटा आकार -  कार्बन टेट्रावैलेंसी प्रदर्शित करता है। कार्बन की टेट्रावैलेंसी को कार्बन, हाइड्रोजन या अन्य परमाणुओं के साथ बंधन बनाकर संतुष्ट...