जैव अणु
जैविक अणुओं को दो भागों में बाँटा गया है:-
1.सूक्ष्म जैव अणु
ये कम अनुभार वाले सरल संरचनात्मक अणु है, जो जल एवं अम्लीय माध्यम में घुलनशील होते हैं।
जैसे वसा अम्ल, अमीनो अम्ल, सरल शर्करा, वसा एवं न्यूक्लिपोटाइड्स आदि
2. वृहत जैव अणु
ये अधिक अनुभार के बड़े आकार वाले जैव अणु है। इनका निर्माण सूक्ष्म अणुओं के बहुलीकरण से होता है।
जैसे:- प्रोटीन्स, पॉलीसैकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल आदि।
कार्बोहाइड्रेट
पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट ही है। जीवधारियों के लिए यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है।
इसका मूलानुणती सूत्र
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर का लगभग 1% भाग बनाते हैं। 1ग्राम कार्बोहाइट्रेट से 4.1 किलो कैलोरी या 17 किलो जूल ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। हैं
कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण
इन्हें तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. मोनोसैकेराइड
ये रंगहीन स्वाद में मीठे होते हैं। इनमें 3 से 7 कार्बन परमाणु हो सकते है।
(i) ट्रायोज (Triose):- 3 कार्बन, जैसे:- डाइहाइड्रोक्सीऐसिटोन, ग्लिसरल्डिहाइड
(ii) टेट्रोज:- 4 कार्बन जैसे:- ऐरिथ्रोज, एरिथ्रुलोज
2. ओलिगोसैकेराइड
इनका निर्माण दो या तीन मोनोसैकेराइड अणुओं के जुड़ने से होता है। यदि दो मोनोसैकेराइड अणु से मिलकर बनता हैं तो इसे डाइसैकेराइड तथा तीन मोनोसैकेराइड अणु से मिलकर बनता है तो इसे ट्राईसैकैराइड कहते हैं। जैसे- रेफिनोज
डाइसैकेराइड के उदाहरण
सुक्रोज:- इसका निर्माण एक ग्लूकोज अणु तथा एक फ्रक्टॉस अणु से होता है।
माल्टोज:- यह दो ग्लूकोज अणुओं से मिलकर बना होता है।
3. पॉलीसॅकेराइड
इनका निर्माण अनेक मोनोसैकैराइड अणुओं के मिलने से होता हैं। ये जल में अघुलनशील, स्वादहीन होते हैं।
ये दो प्रकार के होते है
होमोपॉलीसैकैराइड:- ये समान प्रकार के मोनोसैकेराइड से बने होते हैं। जैसे सेल्युलोज, स्टार्च, ग्लाइकोजन,काइटिन, इन्सुलिन आदि।
हेटेरोपॉलीसैकैराइड – ये विभिन्न प्रकार के मोनोसैकेराइड अणुओं से मिलकर बने होते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के काम
कार्बोहाइड्रेट्स सभी जीवों में मुख्य ऊर्जा स्रोत हैं।
स्टार्च पौधों में तथा ग्लाइकोजन जंतुओं में संचित ईंधन स्रोत है।
प्रोटीन
सजीव शरीर का लगभग 14% भाग तथा मृत शरीर का लगभग 50% भाग प्रोटीन का बना होता है। प्रोटीन अमीनो अम्लो से मिलकर बने होते हैं। इस कारण इन्हें अमीनों के बहुलक भी कहते हैं। प्रोटीन के निर्माण मे लगभग 20 प्रकार एक अमीनो अम्ल भाग लेते है।
प्रोटीन्स के प्रकार
ये निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं।
सरल प्रोटीन
जटिल प्रोटीन
व्युत्पन्न प्रोटीन
प्रोटीन के कार्य
लगभग सभी एंजाइम्स प्रोटीन्स के बने होते हैं।
एक्टिन तथा मायोसिन संकुचन प्रोटीन्स है, जो सभी कंकालीय पेशियों के संकुचन में भाग लेती है।
रेशम में फाइब्रोइन प्रोटीन होते हैं।
एंटीबोडीज या इम्यूनोग्लोब्यूटिन जोकि शरीर की सुरक्षा करती है, प्रोटीन्स से ही बनी होती हैं।
चारगाफ नियम (Chargaff’s Rule)
1. चारगाक ने सन् 1950 में विभिन्न स्रोतों से DNA प्राप्त किए तथा निम्न निष्कर्ष निकाले। इन निष्कर्षो को ही चारगाफ नियम कहते हैं।
2. सभी जीवो के DNA में पिरिमिडीन (C+T) की मात्रा प्यूरीन (A+G) के बराबर होती है, अर्थात्
पिरिमिडीन (C+T) = प्यूरीन (A+G)
सभी जीवों के DNA में साइटोसीन (c) की मात्रा ग्वानीन (G) के तथा थायमीन (T) की मात्रा ऐडीनीन (A) के बराबर होती है।
थायमीन (T) = एडीनीन (A)
3. एक ही जाति के जीवों के DNA में साइटोसीन तथा ग्वानीन (C+G) एवं एवं थायमीन तथा एडीनीन (T+A) का अनुपात समान रहता है, परन्तु भिन्न-भिन्न जाति के जीवों के DNA में यह अनुपात भिन्न-भिन्न होता हैं।
एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट
एडीनोसीन का अणु एडीनीन के एक अणु तथा राइबोज शर्करा के एक अणु के संयोजन से बनता है। यह एक न्यूक्लियोटाइड हैं। जब ADP का तीसरा कास्फेट अणु (PO4) से संघनन होता है तब ATP अथवा एडीनोसीन ट्राइफास्फेट बनता हैं। इस बंध के बनने से भी 7300cal/mol ऊर्जा संचित होती है। प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश रासायनिक क्रिया के समय 18ATP का निर्माण होता है।
ATP का कार्य एवं महत्व
जैविक संश्लेषी प्रक्रियाओं जैसे प्रोटीन, वसा, न्यूक्लिक अम्ल तथा कार्बोहाइड्रेट आदि के संश्लेषण में।
सक्रिय खादय स्थानान्तरण में ।
कोशिका विभाजन एवं श्वसन प्रक्रिया में।
किशर का ताला चाबी प्रतिरूप (Fischer’s Lock and key model)
एंजाइम की क्रियाविधि को समझने के के लिए एमिल किशर ने ताला चाबी मॉडल प्रस्तुत किया था। उन्होंने क्रियाधार तथा एंजाइम के बीच सक्रिय स्थल में बंधन की ताले में चाबी के समान बंधन से तुलना की तथा ताला-चाबी को ES जटिल के समान माना।
यह जटिल अत्यधिक अस्थिर होता है। इस जटिल के बनने में क्रियाधार के अणुओं की सक्रियण ऊर्जा में कमी आ जाती है। जिससे क्रियाधार उत्तेजित होकर सक्रिय अवस्था में आ जाते है, इस अवस्था में क्रियाधार अणुओं के कुछ बंध विदलनशील हो जाते हैं और क्रियाधार अंतिम उत्पाद में परिवर्तित हो जाता है।
जैव तंत्र में एंजाइम ऐसा पदार्थ है जो सक्रियण ऊर्जा दर को घटाता है। जिससे जैव रासायनिक अभिक्रियाएं उपयुक्त दर पर संपन्न होती है, और क्रियाधार का उत्पाद में रूपांतरण आसान हो जाता है
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