Chapter 11: Dual Nature of Radiation & Matter

 प्रकाश वैधुत प्रभाव (Photo electric Effect)


प्रकाश के प्रभाव द्वारा किसी धातु की सतह से इलेक्ट्रानो के उत्सर्जित होने की घटना को प्रकाश वैधुत प्रभाव कहते है।


इस प्रकार उत्सर्जित इलेक्ट्रानो को प्रकाश इलेक्ट्रान अथवा फोटो इलेक्ट्रान कहते हैं। यदि परिपथ बंद है, तो प्रवाहित धारा को प्रकाश वैधुत धारा कहते हैं।


हर्ट्स तथा लेनार्ड के प्रयोग


वैज्ञानिक हर्ट्स, लेनार्ड तथा मिलकन ने प्रकाश वैधुत उत्सर्जन के अनेको प्रयोग किए। इन्होंने विभिन्न प्रकार की धातुओं की प्लेटे लेकर उसके ऊपर विभिन्न तीव्रताओं और विभिन्न आवृत्तियों का प्रकाश आपतित कराया और प्रत्येक दशा मे उत्सर्जित इलेक्ट्रानों की अधिकतम गतिज ऊर्जा और प्रकाश वैधुत धारा को मापा इस प्रकार इन्होंने प्रकाश वैधुत प्रभाव के अनेको सम्बन्ध प्राप्त किये।


प्रकाश की तीव्रता का प्रभाव –


जब किसी धातु की सतह पर प्रकाश आपतित कराया जाता है तो यदि प्रकाश की आवृति उचित है तो सतह से प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन होने लगता है। जब आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ायी जाती है तो प्रकाश वैधुत धारा का मान भी लगभग उसी अनुपात मे बढ़ता है।


प्रकाश की आवृत्ति का प्रभाव –


जब आपतित प्रकाश की आवृत्ति को x अक्ष पर तथा प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा को y – अक्ष पर लेकर एक ग्राफ खीचा जाये तो एक सरल रेखा प्राप्त होती है। इसका तात्पर्य यह है, कि आपतित प्रकाश की आवृत्ति अधिक होने पर उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा भी अधिक होती है।


Ek = A(υ-υo)


देहली आवृत्ति (Threshold frequency)


आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन कर सके उसे देहली आवृत्ति कहते है। इसे uo से प्रदर्शित करते हैं।


यदि यत्र u >uo तो प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन होगा ।

यदि u < uo तो प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन नही होगा ।

देहली आवृति का मान दिए गए पदार्थ के लिए निश्चित तथा अलग-अलग पदार्थों के लिए इसका मान अलग- अलग होता है।

देहली तरगदैर्ध्य (Threshold Wavelength)


आपतित प्रकाश की वह अधिकतम तरंगदैर्ध्य जो किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन कर सके, उसे देहली तरंगदैर्ध्य कहते है। इसे λo से व्यक्त करते हैं।


[λo= c/υo] जहा c – प्रकाश की चाल

यदी λ<λo तो प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन होगा |

यदि λ>λo प्रकाश e का उत्सर्जन नही होगा |

प्रकाश की कुणात्मक प्रकृति सिद्धान्त


प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे -छोटे बण्डलो अथवा पैकिटो के रूप में आगे बढ़ता है। ऊर्जा के इस बण्डल को फोटॉन या क्वाण्टम कहते हैं।


प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E=hυ होती है, जिसमे υ प्रकाश की आवृत्ति है तथा h प्लांक का सार्वत्रिक नियतांक है। इसका मान 6.62X10-34 जूल- सेकेण्ड होता है। प्रकाश की तीव्रता इन्हीं फोटानो की संख्या पर निर्भर करती है। यदि प्रकाश की तरंग दैर्ध्य λ तथा निर्वात में प्रकाश की चाल c है तो फोटोन की ऊर्जा = hc/λ


कार्य फलन (Work function)


वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन कर सके उसे कार्य फलन कहते हैं। इसे w से व्यक्त करते हैं।


मात्तक – इलेक्ट्रान वोल्ट (ev) या J (जूल) होता है।


कार्य फलन

निरोधी विभव (stopping Potential)


कैथोड के सापेक्ष प्लेट (एनोड) को दिया गया वह न्यूनतम ऋणात्मक विभव जिस पर प्रकाश वैधुत धारा का मान शून्य हो जाता है, उसे संस्तब्ध विभव या निरोधी विभव कहते हैं इसे Vo से व्यक्त करते है।


प्रकाश वैधुत प्रभाव के प्रायोगिक नियम


प्रयोगों के आधार पर निम्न नियम प्रतिपादित किए –


प्रकाश वैधुत धारा का मान आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करता है।

प्रकाश इलेक्ट्रानों की अधिकतम गतिज ऊर्जा, आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती।

उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करती है।

यदि आपत्ति प्रकाश की आवृत्ति, धातु के लिए देहली आवृत्ति से कम है तो चाहे जितनी तीव्रता का प्रकाश चाहे जितनी समय के लिए आपतित कराया जाये प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नही हो सकता है।

जैसे ही धातु की सतह पर प्रकाश आपतित होता है, वैसे ही सतह से प्रकाश इलेक्ट्रानो का उत्सर्जन होने लगता है, अर्थात प्रकाश के आपत्ति होने तथा प्रकाश इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के बीच कोई समय पश्चता नही होती है।

आइन्सटीन का प्रकाश वैद्युत समीकरण


आइन्स्टीन ने जर्मनी के वैज्ञानिक मैक्स प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर बताया कि जैसे कोई प्रकाश फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित होता है तो फोटान की यह ऊर्जा (hv) दो भागों में विभक्त हो जाती है। प्रथम भाग प्रकाश इलेक्ट्रान को धातु की सतह तक लाता है, जिसे कार्यफलन(w) कहते है। ऊर्जा का दूसरा भाग प्रकाश इलेक्ट्रॉनों को अधिकतम ऊर्जा (Ek) प्रदान करता है।


hυ = W +Ek


आइन्स्टीन का प्रकाश वैधुत समीकरण है:- ½ mv²max =h (υ-υo)


द्रव्य तरंगे (Matter Waves)


जब कोई कण (फोटान) गति करता है तो उस कण के साथ सदैव एक तरंग सम्बन्धित रहती है, इस तरंग को द्रव्य तरंग कहते है।


अलग – अलग कणो से सम्बन्धित तरंगों की तरंगदैर्ध्य अलग अलग होती है।


दी ब्रोगली तरंग दैर्ध्य के लिए व्यंजक


λ = h/p 


इलेक्ट्रान से सम्बन्धित दी ब्रोगली तरंगदैर्ध्य


इलेक्ट्रान से सम्बन्धित दी ब्रोगली तरंगदैर्ध्य

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